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जाने क्यों आज दुनीया भर के मुसलमान जश्न मना रहे हैं (700 साल का इंतिजर आज ही के दिन खत्म हुआ था

Delhi: आज ही के दिन 29 मई, साल 1453 की तारीख. ये वो दिन था जब 21 साल के सुल्तान मोहम्मद ने 700 साल बाद कस्तूतुनिया (इस्तांबुल) जीत कर सहाबी अबू अय्यूब अंसारी रज़ि. के शहादत का बदला लिया था।

तस्वीर फेस्बूक से


डॉक्टर निकोल बारबिरो जो उस दिन शहर में मौजूद थे. वे लिखते हैं कि "सफेद पगड़ियाँ बांधे हुए ईमान से लबरेज़ जवानों के दस्ते बेजिगर शेरों की तरह हमला करते थे और उनके नारे और नगाड़ों की आवाजें ऐसी थी जैसे उनका संबंध  इस दुनिया से ना हो.

अल्लहुअकबर के नारों से दुश्मनो के कान फट गए थे क़िले की दीवारें हिल गयी थी|।


दुश्मन गिरिजाघरों की तरफ़ दौड़े और रो-रो कर मिन्नतें शुरू कर दी.पादरियों ने शहर के चर्चों की घंटियां पूरी ताकत से बजानी शुरू कर दी थी"। दुश्मन फ़ौज मैदान छोड़ कर भागने लगी सेनापति जीववानी जस्टेनियानी भी ज़ख्मी हालत में भाग गया कस्तूतुनिया में उस्मानिया सल्तनत का झंडा फहरा चुका था।


तुर्की में इस्तांबुल फतह का जश्न (तस्वीर ट्विटर)


700 साल के जद्दोजहद के बाद मुसलमान आखिरकार कस्तुनतुनिया फतह कर चुके थे। फ़ज़र का वक़्त हो चुका था सूरज की हल्की हल्की रोशनी फैलने लगी थी। फतह के बाद सुल्तान मोहम्मद सफेद घोड़े पर अपने साथियों के साथ हाजिया सोफिया के चर्च के दरवाजे के पास पहुंचकर घोड़े से उतरे और सड़क से एक मुट्ठी धूल लेकर अपनी पगड़ी पर डाल दी. उनके साथियों की आंखों से आँसू बहने लगे.

सुल्तान फ़तह मुहम्मद उस्मानिया सल्तनत के 7वें बादशाह थे इस उस्मानिया सल्तनत की बुनियाद अर्तगल के बेटे उस्मान ने रखी थी। जिसने 1299 से लेकर 1922 तक यूरोप और अरब के एक बड़े हिस्से पर हुक़ूमत की।

Article From Facebook Page: मुग़ल सल्तनत مغل سلطنت

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