अब भाजपा सरकार मुस्लिम एवं अल्पसंख्यक वर्गों से शिक्षा छिनने के फिराक में हर मुस्लिम को पढ़ना जरूरी
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भाजपा सरकार जब भी घिरने लगती है तो कोई न कोई मुस्लिम मुद्दा बीच में ले आती है
अब भाजपा सरकार मुस्लिम एवं अल्पसंख्यक वर्र्गों से शिक्षा छिनने के फिराक में आर्टिकल 30 हटने से सिर्फ मुस्लिम ही नहीं सारा अल्पसंख्यक समुदाय भी बहुत पीछे जाएगा
अब भाजपा सरकार मुस्लिम एवं अल्पसंख्यक वर्र्गों से शिक्षा छिनने के फिराक में आर्टिकल 30 हटने से सिर्फ मुस्लिम ही नहीं सारा अल्पसंख्यक समुदाय भी बहुत पीछे जाएगा
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Constitution Front Page |
आखिर क्या है आर्टिकल 30 जिसे भाजपा रद्द करने को कह रही है
आर्टिकल 30 विवरण
1 धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा।
(1क) खंड (1) में निर्दिष्ट किसी अल्पसंख्यक-वर्ग द्वारा स्थापित और प्रशासित शिक्षा संस्था की संपत्ति के अनिवार्य अर्जन के लिए उपबंध करने वाली विधि बनाते समय, राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसी संपत्ति के अर्जन के लिए ऐसी विधि द्वारा नियत या उसके अधीन अवधारित रकम इतनी हो कि उस खंड के अधीन प्रत्याभूत अधिकार निर्बन्धित या निराकृत न हो जाए...!
2 शिक्षा संस्थाओं को सहायता देने में राज्य किसी शिक्षा संस्था के विरुद्ध इस आधार पर विभेद नहीं करेगा कि वह धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक वर्ग के प्रबंध में है
संविधान चवालीसवाँ संशोधन अधिनियम 1978 की धारा 4 द्वारा 20/06/1979 से अंत स्थापित है
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30 शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार है
- भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है तथा धार्मिक अधिकारों और विशेषाधिकारों की सुरक्षा के साथ साथ जातीय अल्पसंख्यक देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की आधारशिला है हिंदू बाहुल्य क्षेत्र होने के बाद भी भारत का संविधान विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के कुछ अधिकारों का समर्थन करता है और भारत के नागरिकों के धर्म जाति या लिंग के सभी मूलभूत अधिकारों को स्पष्ट करता है...!
- अनुच्छेद/Article 30 को भारतीय संविधान के भाग तृतीय (III) के तहत वर्गीकृत किया गया है और यह अनुच्छेद शैक्षणिक संस्थानों के प्रबंध और अल्पसंख्यकों के अधिकार का समर्थन करता है...!
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मदरसा में बच्चे पढ़ते हुई (फोटो गूगल) |
Article/अनुच्छेद 30 की विशेषता
- समानता के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ अधिकारों की रक्षा करने का प्रावधान आर्टिकल 30 में शामिल है...!
- धर्म और भाषा के आधार पर सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों को स्थापित और प्रबंध करने का अधिकार है...!
- साथ ही राज्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि संपत्ति के अधिग्रहण के लिए जरूरी राशि समुदाय के बजट से अधिक ना हो इसलिए, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि अनुच्छेद के तहत प्रत्याभूत अधिकार प्रतिबंधित या रद्द ना किया गया हो...!
- आर्टिकल 30 में एक स्तरीय खेल का मैदान बनाने के लिए भी एक उपधारा है। इस अनुच्छेद के अनुसार, देश की सरकार धर्म या भाषा की वजह से किसी भी अल्पसंख्यक समूह द्वारा संचालित शैक्षिक संस्थानों को सहायता देने में कोई भी भेदभाव नहीं करेगी।
आर्टिकल 30 की आलोचना
भारत में जातीय और साथ ही धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए अनुच्छेद/Article 30 को विभिन्न धाराओं के साथ शामिल किया गया था, वहीं इस में कुछ कमियाँ भी हैं।
वास्तविक तथ्य यह है कि अल्पसंख्यकों के पास स्थापित शैक्षिक संस्थानों का व्यक्तिगत नियंत्रण होता है जिसका अर्थ यह है कि सरकार इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
इसके गठन और साथ ही प्रबंधन पर नियंत्रण की वजह से भ्रष्टाचार के मामले में सरकार के पास हस्तक्षेप करने और स्थिति को नियंत्रित करने का अधिकार नहीं होगा आर्टिकल 30 अल्पसंख्यक संस्थानों को शिक्षा अधिनियम के अधिकार के अनुसार गरीबों के लिए अपनी 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की छूट देता है जो भारत के संविधान में निहित मूलभूत अधिकारों के विपरीत है...!
इसके अलावा भी आर्टिकल 30 की धारा 1 (ए) के अनुसार पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण नीति को लागू करने की बाध्यता अल्पसंख्यक संस्थानों की नहीं है। एक बार फिर भारतीय संविधान के अनुसार यह पिछड़े वर्गों के अधिकारों का खंडन करती है। जबकि यह अनुच्छेद अल्पसंख्यकों के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है और यह वास्तव में गैर अल्पसंख्यकों को नकारते हुए अपने संस्थानों को स्थापित और प्रशासित करने का मौलिक अधिकार है।